एक माँ-बाप के लिए उसके संतान से बड़ी दौलत और कुछ नहीं होता। लेकिन सभी अभिभावक अपने बच्चे के भविष्य और उसे मिलने वाले संस्कारों को लेकर अक्सर चिंता में डूबे रहते हैं । आइये जानते हैं कि आखिर बच्चे किस तरह बनते हैं संस्कारी और क्या है इसके पीछे का रहस्य ?(bachchon ko sanskari kaise banaye)
जन्म से लेकर 21 वर्ष तक मुख्य रूप से संस्कारों का निर्माण होता है। इस अवस्था में पड़ी हुई आदतें ही आगे चलकर संस्कार का रूप ले लेती हैं। खान पान से लेकर, मित्रता और पूजा उपासना तक, हर छोटी बड़ी चीज का अपना महत्व होता है। बच्चे के ऊपर माता-पिता के संस्कारों का प्रभाव भी पड़ता है, इसका ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं किस उम्र में किस बात का ध्यान रखना चाहिेए?
जन्म से लेकर 5 वर्ष तक की आयु तक किन बातों का रखें ध्यान / bachchon ko sanskari kaise banaye
- इस उम्र में बच्चे के आहार और खान पान का विशेष ख्याल रखना चाहिए
- इस उम्र में जो खाने पीने की आदतें पड़ जाती हैं , जो जीवन भर नहीं छूटती
- चूँकि खान पान से ही सोच और विचार बनते हैं , अतः सोच समझकर आहार देना चाहिए
- मांसाहार , फ़ास्ट फ़ूड , बासी और तेल मसाले वाले भोजन से बच्चों को बचाना जरूरी होगा
6 वर्ष से 10 वर्ष तक किन बातों का ख्याल रखें
- इस उम्र में बच्चे के अन्दर शुभ और अशुभ आदतें आने लगती हैं
- बच्चे को धर्म , ईश्वर और व्यवहार के बारे में ज्ञान होने लगता है
- इस समय घर का माहौल शुद्ध और सात्विक रखें
- घर के लोग अपने व्यवहार और आचरण को दुरुस्त रखें
- बच्चे को सही और गलत के बीच का फर्क सिखाएं
11 वर्ष से 15 वर्ष तक किन बातों का ख्याल रखें
- इसी उम्र में बच्चा शिक्षा और ज्ञान के बारे में सजग होता है
- बच्चे को विषय,करियर और सफलता की चिंता होने लगती है
- इस समय बच्चे को मन्त्रों और आसन आदि के बारे में बताना चाहिए
- ताकि बच्चा शिक्षा में एकाग्र हो और उसका शारीरिक और मानसिक विकास ठीक तरीके से हो
- बच्चे पर अपनी रूचि न थोपें , उसकी इच्छानुसार विषय लेने दें
17 वर्ष से 21 वर्ष तक किन बातों का ध्यान रखें
- यह उम्र बच्चों के अन्दर बड़े रासायनिक परिवर्तन की होती है
- सारे संस्कार और अच्छी बुरी आदतें इस उम्र में दिखाई देने लगती हैं
- इस उम्र में बच्चों को जिम्मेदारी खुद लेने दें , उनकी सहायता करें
- उनके कपड़ों , उनकी जीवनचर्या और उनकी संगति का ध्यान रखें
- उन्हें बुजुर्गों के साथ रहने की सलाह दें साथ ही व्रत उपवास रखने की आदत डालें