CAB यानि Citizenship Amendment Bill एक बिल है जिसे भारत सरकार ने पेश किया। यह बिल संसद के दोनों सदनों यानि लोकसभा और राज्यसभा से पास किया जा चुका है। साथ ही राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही अब ये CAA यानि कि Citizenship Amendment Act अर्थात नागरिकता (संशोधन) विधेयक एक कानून बन चुका है। इसका विरोध करने वाले इसे गैर-संवैधानिक बता रहे हैं जबकि सरकार का कहना है कि इसका एक भी प्रावधान संविधान के किसी भी हिस्से की किसी भी तरह से अवहेलना नहीं करता है। तो आइए विस्तार से जानते हैं कि CAB, CAA और NRC क्या है? साथ ही हम यह भी जानने की कोशिश करेंगे की इसके विरोध के कारण क्या हैं!
CAB, CAA और NRC क्या है?
CAB क्या है? Full Form Of CAB
CAB का Full Form है Citizenship Amendment Bill यानि कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक. इस बिल के तहत भारत में रह रहे तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता दिया जाना है।
CAA क्या है ? Full Form Of CAA
CAA का Full Form है Citizenship Amendment Act. नागरिकता (संशोधन) कानून। CAB के राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर होते ही यह Act बन चुका है।
NRC क्या है? Full Form Of NRC
NRC का Full Form है National Register of Citizens. इसे National Register of Citizens of India के नाम से भी जाना जाता है।
CAB और CAA में अंतर
जब तक CAB एक बिल के रूप में था, इसे CAB के नाम से जाना जाता था। लेकिन बिल के कानून बनते ही इसे Act बोला जाता है यानि CAA.
CAB, CAA और NRC क्या है? आइए विस्तार से जानते हैं
वास्तव में CAA कोई नया कानून नहीं है बल्कि यह एक संसोधित रूप है। दरअसल इसके माध्यम से 1955 के नागरिकता कानून में संसोधन किया गया है। कानून में किए गए संसोधन के मुताबिक भारत के तीन पड़ोसी देशों- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रहने वाले अल्पसंख्यकों को भारत कि नागरिकता देने का प्रावधान है। चूंकि ये तीनों पड़ोसी राष्ट्र इस्लामिक राष्ट्र हैं तो वहाँ के गैर- इस्लाम लोगों जैसे कि हिन्दू, सिक्ख, बौद्ध, जैन और पारसी लोगों को, जो खुद को वहाँ उपेक्षित और प्रताड़ित मानते थे और भारत में शरणार्थी का जीवन बिता रहे थे, उन्हें यहाँ की नागरिकता दी जाएगी।
आखिर नागरिकता धर्म के आधार पर क्यों?
जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है जिन लोगों को नागरिकता दी जाएगी, वे ऐसे राष्ट्र से हैं जो विशेष धर्म बहुल के राष्ट्र हैं। ऐसे में वहाँ के अल्पसंख्यक खुद को उपेक्षित मानते हैं। ऐसे में ऐसे अल्पसंख्यकों को भारत का नागरिक माना जाएगा।
उन देशों में जो विशेष धर्म को मानते हैं, वहाँ उसी धर्म के लोगों को प्रतारित किया जाय, ये संभावना नहीं है। इसीलिए वहाँ के इन अल्पसंख्यकों को भारत कि नागरिकता दी जाएगी। साथ ही ये वो लोग हैं, जो 31 दिसम्बर 2014 से पहले से भारत में हैं और वो वापस जाना नहीं चाहते।
क्या इस कानून से भारत के मुस्लिम लोगों के नागरिकता पर असर पड़ेगा
गृह मंत्रालय यह पहले ही साफ कर चुका है कि CAA का भारत के किसी भी धर्म के किसी नागरिक से कोई लेना देना नहीं है। CAA एक ऐसा कानून है जिसके द्वारा लोगों को नागरिकता दी जाएगी। चूंकि यह नागरिकता देने का कानून है, तो इससे किसी के नागरिकता को छिनने का सवाल ही नहीं उठता। तो ऐसे में यहाँ के मुस्लिम लोगों के नागरिकता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
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क्यों मचा CAA पर बवाल
यह एक ऐसा कानून है जिसमे नागरिकता का आधार धर्म माना गया। कई प्रदर्शनकारियों का मानना है कि यह संविधान की उपेक्षा है और इस कानून से विशेष धर्म के लोगों के अधिकारों का हनन हो होगा। कुछ ऐसा भी अफवाह फैलाया गया कि इससे कुछ लोगों की भारतीय नागरिकता छिन जाएगी। लोगों में इस कानून को लेकर पूरी जागरूकता और जानकारी के अभाव में अफवाहों को हवा मिली। एक विशेष धर्म के लोगों को लगा कि इस कानून के द्वारा उनके अधिकारों को छिना जा रहा है। परिणाम स्वरूप उन्होने विरोध किया।
विरोध में ऐसा भी देखा गया, जब लोग मंहगाई, बेरोजगारी या अन्य दूसरे मुद्दों को लेकर भी विरोध करते दिखे। लेकिन सबसे बड़ी बात पूरी जानकारी के अभाव में लोग CAA के विरोध में आए। कई तो ऐसे भी देखे गए जिन्हें ये भी नहीं पता था कि वो विरोध किस बात का कर रहे हैं। चूंकि कुछ असामाजिक तत्वों के द्वारा माहौल ऐसा बना दिया गया कि विरोध पर उतर आए।
आइए जानते हैं NRC के बारे में
NRC अर्थात नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन एक रजिस्टर है जिसमें देश में रह रहे सभी वास्तविक नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जाएगा। NRC का मकसद अवैध रूप से भारत में बसे घुसपैठियों को बाहर निकालना है। एनआरसी अभी केवल असम में ही पूरा हुआ है। भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर भारत के राष्ट्रीय नागरिक पंजी में उन भारतीय नागरिकों के नाम हैं जो असम में रहते हैं। सरकार यह स्पष्ट कर चुकी है कि एनआरसी का भारत के किसी धर्म के नागरिकों से कोई लेना देना नहीं है इसका मकसद केवल भारत से अवैध घुसपैठियों को बाहर निकालना है।
NRC के फायदे :-
यदि देश को अपने नागरिकों जानकारी होती है तो ऐसे लोग जो उस देश के वास्तविक नागरिक नहीं होते, उन्हें अपने देश भेजा जाता है। चूंकि वैसे लोग उस देश के अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते क्योंकि उनके बारे में उस देश को भी नहीं पता होता। परिणामस्वरूप योजनाओं को लागू करने में भी परेशानी होती।
भारत में NRC सिर्फ असम में लागू हुआ है।
इसको ऐसे समझें कि मान लीजिये आपके घर में कोई ऐसा आदमी आ जाय जो आपके परिवार का हिस्सा नहीं है लेकिन वो आपके घर के सारा सुविधाओं का लाभ ले और वो भी बिना आपको बताए। क्या आपको ये पसंद होगा?
NRC के तहत कौन-कौन से डॉक्युमेंट्स वैलिड हैं?
भारत में सिर्फ असम में NRC List तैयार हुई है। सरकार पूरे देश में जो NRC लाने की बात कर रही है, उसके प्रावधान अभी तय नहीं हुए हैं। इस NRC को लाने में अभी सरकार को लंबी दूरी तय करनी पडे़गी। उसे NRC का मसौदा तैयार कर संसद के दोनों सदनों से पारित करवाना होगा। फिर राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद NRC Act अस्तित्व में आएगा। हालांकि, असम की एनआरसी लिस्ट में उन्हें ही जगह दी गई जिन्होंने साबित कर दिया कि वो या उनके पूर्वज 24 मार्च 1971 से पहले भारत आकर बस गए थे।
उम्मीद है अब आप समझ गए होंगे कि CAB, CAA और NRC क्या है? इसका क्या उद्देश्य है। अफवाहों पर ध्यान न दें और अपने राष्ट्र के प्रगति पर अपना लक्ष्य निर्धारित करें तभी सब का भला हो सकता है। कोई सुझाव हो, तो जरूर बताएं।